दोस्तों! इस article में महेंद्र सिंह धोनी की Success Story और Motivational Story In Hindi से बहुत कुछ सीखने वाले हैं।
आसान नहीं होता, एक तरफ पढ़ाई के लिए रात भर जागना और दूसरी तरफ Sports के लिए दिन भर भागना। अगर इतना आसान होता, तो india में आज हर दूसरा लड़का cricketer होता।
महेंद्र सिंह धोनी – Motivational Story In Hindi
11 साल का वो लड़का, जिसके पापा उसे सरकारी नौकरी में देखना चाहते थे, उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन सरकारी नौकरी वाले भी उसके दीवाने हो जायेंगे। पापा को काम करता देख, आंखें सूज जाती थी। खुद की पढ़ाई और बहन की शादी। अंदाजा लगा लो, क्या होगी जिम्मेदारी ! Bat खरीदने के पैसे नहीं थे, तो दोस्तों ने हाथ बढ़ाया। दोस्त भी उसके पीछे इतना पागल सिर्फ इसीलिए थे, क्योंकि उसने कभी अपने रुतबे पर अकड़ नहीं दिखाई, क्या उसकी जिंदगी आसान थी।
Board की परीक्षा में बैठकर भी वो match के सपने देखता था। जहां हर एक student पूरा समय खत्म होने के बाद भी 5 मिनट ओर मांगता है, वहां वो शख्स आधे घंटे पहले paper जमा करके निकल जाता है, क्योंकि उसका खेल उसके लिए सबसे ऊपर था। खेल ने ही उसे नाम दिलाया, एक बेहतरीन पहचान दिलाई और इसी खेल ने उसे नौकरी भी दिलाई।
आज से बीस साल पहले जब लोग कहते थे, इस युग में एक बार भगवान मिल जाएंगे, मगर सरकारी नौकरी मिले यह बहुत मुश्किल है। उस दौर में, जब लोग रातों-रात मेहनत किया करते थे किसी सरकारी नौकरी को पाने की, उसी समय पर वो बंदा सिर्फ अपने खेल को next level पर लेकर जाना चाहता था। बारह घंटे की duty और छह घंटे की practice आदमी की कमर टूट जाएगी। उसे एक बार अपनी कमर तोड़ना मंजूर था, मगर अपने सपने खोना नहीं।
ना वो ज्यादा बोलता था, और ना ही ज्यादा सोचता था लेकिन जब वो मैदान में उतरता था तो उसके नाम की गूंजें शोर करती थी और उसका बल्ला फोड़ता था। वो deserve कुछ बहुत बड़ा करता था लेकिन किस्मत हर कदम कदम पर उसके लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर रही थी।
जो मौका उसे 25 कि उम्र में मिला India खेलने का, वो मौका शायद उसे पांच साल पहले मिल गया होता, अगर Dilip Trophy के लिए उसकी flight नहीं छूटी होती पहले उसके पिता को उसके career की फिक्र थी आज पूरे देश को उसके सफलता पर फक्र है। लेकिन उस फिक्र से फक्र तक का सफर उसने अकेले तय किया है।
अपने लिए क्या सही है, क्या नहीं है वो उसने खुद ने चुना है। सौ लोगों के पास पूछने को नहीं गया, जो उसके दिल ने कहा, उसने बस उसी को करा है। दिल ने कहा – खेल क्योंकि तुझे सितारा बनना है पिता ने कहा – उम्र देख अपनी, क्या तुझे नकारा बनना है ? जिस-जिस ने उसे पहले वादा किया था , की उसकी मुश्किल की घड़ी में वो साथ आएंगे जब वो घड़ी आयी तो उन लोगों का एक call तक नहीं आया।
उसे बहुत जल्द ये पता चल चुका था की बाहर की दुनिया भी एक खेल ही है जहां उस पर लगातार bouncers पे bouncers फेंके जा रहे है या तो वो घायल हो सकता है, या pull shot खेलकर शोर का सैलाब ला सकता है। वो सहता गया , घुटता गया उसे करना कुछ ओर था और कर वो कुछ ओर ही रहा था लेकिन एक दिन खालीपन में अकेला बैठा अपने सपनों को खुद से दूर जाता देख वो बर्दाश्त नहीं कर पाया
शाम ढलने के साथ-साथ, अब उम्र भी ढल रही थी। साथ वाले सब आगे निकल चुके थे। जिसने कभी उसके साथ खेला , वो आज देश को जीता रहे थे और यहां वो खेल से दूर होकर खड़गपुर के दो नंबर platform पर अपना सपना हार रहा था। लेकिन वक़्त बदला, उसने अपना दाव खेला सही समय पर उसने सही फैसला लिया, वापस खेलने का पूरा इरादा किया उसकी मा ने बचपन में ही कहा था, ये थोड़े से मे खुश होने वालों में से नहीं है। इस बात को उसने पूरा सही साबित भी किया।
इसे भी पढ़े
- पैसों को मैनेज करने के 7 स्मार्ट टिप्स
- इन 8 तरीकों से करें अपने टाइम को मैनेज
- लोगों को आकर्षित करने के 11 तरीके
उसे सारी उम्र ट्रेनों को देख देखकर नहीं काटनी थी बल्कि उसे उस ऊंचाई तक पहुंचना था जहां से उसकी उड़ान को सारा जमाना देख पाए। ट्रेन station पर आई। मन में सौ सवाल थे, नौकरी भी दाव पर थी, सब कुछ बहुत risk में था, लेकिन वो अपने खेल के इश्क में था उसके पास दस कारण थे , ना जाने के लेकिन सिर्फ एक कारण की उसे खेलना है वो उन दस कारणों पर भारी था उसे वहां से निकालने के लिए।
आखिर में उसने अपने दिल की सुनी। कुछ पल के लिए विचारों को किनारे किया और उस पल के लिए वो सिर्फ उस पल में जिया वो उस ट्रेन से निकला और अपने मैदान में पहुंचा वहां जाकर उसने खेल को अपने नाम किया और ये तो हम ने देखा ही है की उसने मैदान में कितना जबरदस्त काम किया। भारत के लिए खेलने का उसे मौका मिला। लेकिन पहली पारी में बिना एक भी गेंद खेले ही वो runout हो गया।
जरा सोचकर देखो, क्या बीती होगी उस पर जब लाखो दर्शकों के बीच वो शून्य पर हि चला गया हो। अगले चार मैच तक वो कुछ नहीं खेल पाया। उसे तो अब शक भी होने लगा था, की शायद अब उसे playing 11 से भी बाहर कर दिया जाएगा. लेकिन उसकी झोली में एक और मौका गिरा जहां अगर इस बार उसने निराश किया तो उसका खेल खत्म हो जाएगा, वो हमेशा हमेशा के लिए गुमनाम हो जाएगा।
उन सारे उसको नापसंद करने वाले लोगों के लिए, उनके पिता के फैसले के लिए, और अपने मन में सौ ख्याल जो आते थे उस नौकरी को करने के लिए, वो सभी लोग सही हो जाएंगे और वो खेल को चुनने के फैसले पर गलत हो जाएगा।
इसे भी पढ़े
- बेहतर जीवन के लिए पढ़ने का महत्व
- वास्तविक जीवन की प्रेरणादायक कहानी
- इन 5 तरीकों से बढ़ाए अपना कॉन्फिडेंस
- असफलता को सफलता में कैसे बदले ?
अगले दिन उसे तीसरे number पर मौका मिला, वो मैदान पर उतरा और इस बार उसने विरोधी के ऐसे पसीने छुड़ाए की वो बस पूरे खेल में मैदानों के चक्कर ही लगते रह गए। 148 की नाबाद पारी खेलकर उसने पूरे देश में अपना नाम रौशन किया और अपने एक खेल से हजारों की भीड़ को अपनी ओर खींच लिया।
इसके बाद हर मुकाबले में वो लोगों को hero दिखने लगा। सब कुछ उसकी जिंदगी में बढ़िया चल रहा था। 2007 में उसे Indian team की कप्तानी भी सौंप दी गई। इस वक़्त तक उसे पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं थी लेकिन तभी उसकी girlfriend का Accident हो जाता है, जहां वो एक तरफ दूसरे देश में बेखबर होकर टीम को trophies पर trophies दिला रहा था वहीं दूसरी तरफ उसकी girlfriend जिससे उसकी शादी होने वाली थी वो अपनी आखिरी सांसें ले रही थी।
जब उसे अपने प्रेमिका की मौत की खबर मिली मानो वो टूट गया , अपने किस्मत और मुकद्दर तक से रूठ गया। हरे भरे खेतों में जैसे एक दम से सूखा पड़ गया हो। जिसके साथ उसने जिंदगी जीने के सारे ख्वाब बना लिए थे वो एक झटके में तबाह हो गए। उसके सदमे का बहुत बूरा असर पड़ा उसके खेल पर। लोगों ने बस उसे उस मैदान पर देखा , असल जिंदगी की जंग लड़ते हुए उसे किसी ने नहीं देखा।
उसका खेल बिगड़ा तो लोग पूरे देश में उसके posters जलाने लगे, उसके घर के बाहर शोर शराबा करने लगे, उसे गालियां देने लगे , बददुआ देने लगे। ऐसे वक़्त पर मजबूत से मजबूत इंसान भी टूट जाएगा मगर क्या वो झुका ? नहीं ! क्या उसने हार मानी ? नहीं बिल्कुल भी नहीं। तीन साल बाद world cup था और भारत पिछले पच्चीस साल से कोई world cup नहीं जीता था। उसने तीन साल बाद की तैयारी उसी वक़्त से शुरू कर दी।
इसे भी पढ़े
लोगों ने उसको नीचे गिराने की, उसकी हिम्मत तोड़ने की बहुत कोशिश की, मगर बावजूद इसके वो ना तो कभी झुका और ना ही टूटा। तीन साल तक उसने कोई शोर नहीं किया। उसके फैसलों के सब खिलाफ रहे, मगर फिर भी वो डटा रहा। उसने खुद पर यकीन रखा और तीन साल का इंतजार किया …
तीन साल बाद … साल 2011 में जब tournament की लहर पूरी दुनिया में पसरी। एक के बाद एक जीत करके team playoffs के लिए qualify कर गई, मगर अब भी मुकाम दूर था, क्योंकि Semi-Final Pakistan से जीतना थोड़ा मुश्किल था, मगर उसने मुकाबला final में पहुचां ही दिया, लक्ष्य बड़ा नहीं था, लेकिन वो दिन कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था।
भारतीय team के दो दिग्गज खिलाड़ी आधे घंटे के पहले ही out होकर बाहर निकल गए। फिर गंभीर और कोहली ने मैच को संभाला, लेकिन उस दिन कोहली भी ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए और फिर entry हुई उस दबंग खिलाड़ी की, जो खेल का रुख एक सेकंड में मोड़ सकता था। पूरा शोर बस उसके नाम की चीख पुकार कर रहा था। सारे लोग खड़े होकर उसका अभिनंदन कर रहे थे और इसके साथ ही वो शेर मैदान में दाखिल होता है।
पहली गेंद बड़ी तकलीफ देती है, मगर दूसरे छोर से वो धीरे-धीरे खेल को आगे बढ़ाता है। लक्ष्य अब भी दूर था, मगर उसे जीतने पर पूरा यकीन था। खेल जैसे जैसे आगे बढ़ा, एक और wicket गिरा, और अब वो फॉर्म में आया। उसने समय रहते अपना speed बढ़ाया, और कुछ गेंदों में अच्छे score के साथ आखिर में एक लंबा छक्का मारकर पूरे देश को अठाईस साल बाद दूसरा world cup दिला दिया,
सभी की आंखों में आसूं थे, लोगों की धड़कने तब कहीं शांत हुई। उस चीख पुकार के बाद वो शख्स उस एक खेल के बाद पूरे देश का चहेता और सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया। वो कहते हैं ना, कि कुछ लोग एसे होते है जो सदी में एक दो ही पैदा होते है। ये शख्स भी उन्हीं में से एक था। रेगिस्तान में भी ठंडा रहने की काबिलियत रख सकता है, जो बाईस गज की दुनियां का बेताज बादशाह कहलाता है, जो Thala के नाम से पुकारा जाता है,
जो कई खिलाड़ियों का career बनाने के लिए जाना जाता है, जिसकी उपस्थिति ही खेल को अपनी तरफ खींचकर ले जाने की ताकत रखती है, जिसे cricket का जादूगर कहा जाता है। वो कहते हैं ना, जो अनहोनी को होनी कर दे, होनी को अनहोनी, जर्सी number 7 है उसकी, नाम है उसका धोनी, जी हां महेंद्र सिंह धोनी, Helicopter भी उतना मशहूर नही हुआ, जितना उस शख्स का helicopter shot हुआ, जिसके एक इशारे पर दुश्मन परेशान हुआ।
umpire भी फैसला लेने से पहले उसकी तरफ देखते, क्योंकि बाज की नजर शायद एक बार चूक भी जाए, मगर stumps के पीछे वो कभी नहीं चूक सकता। तभी तो वो Captain Cool Mahendra Singh Dhoni कहलाता है। खिलाड़ी खेल जरूर छोड़ दे मगर जिनके दिलो में वो बस चुका है वो हमेशा उनके दिलों में जिंदा और बुलंद रहेगा।
दोस्तों, आपको यह Mahendra Singh Dhoni की Motivational Story In Hindi कैसी लगी। comment करके जरूर बताएं।
इसे भी पढ़े
- सुबह की ये 6 आदतें आपके जीवन को चमत्कारिक बना देगी
- कृतज्ञता क्या है?
- परीक्षा में तनाव से कैसे सामना करें?
- पढ़ाई करने के लिए सबसे अच्छा समय
Very nice article